Tulsi Pujan Diwas 2024: तुलसी पूजन दिवस क्या है ? , क्या लाभ है , पूजा विधि ?
25 दिसंबर, 2023 का दिन तुलसी पूजन दिवस है। हिंदुओं के लिए यह दिन एक विशेष अवसर है। इस दिन लोग तुलसी, जो हिंदू धर्म में एक पवित्र पौधा है, की पूजा करते हैं।
पुराने धर्मों में तुलसी का पौधा बहुत पवित्र है। तुलसी देवी लक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करती है। तुलसी कहा जाता है कि सुख-समृद्धि और शांति हर जगह होती हैं। इसलिए तुलसी की पूजा बहुत महत्वपूर्ण है।
तुलसी पूजन दिवस हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग तुलसी के पौधे की विशेष पूजा करते हैं। तुलसी के पत्तों को पूजा के बाद लोगों को प्रसाद के रूप में देते हैं।
तुलसी की धार्मिक मान्यता
तुलसी की पूजा का धार्मिक अर्थ बहुत अधिक है। तुलसी भगवान विष्णु की सबसे प्यारी देवी है। तुलसी की पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। तुलसी की पूजा भी घर में सुख-समृद्धि और शांति लाती है।तुलसी का पौधा कई औषधीय गुणों से भरपूर है। तुलसी के पत्ते कई बीमारियों का उपचार करते हैं। तुलसी की पूजा करने से भी स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
तुलसी पूजन से मिलने वाले लाभ
तुलसी पूजन करने से कई लाभ मिलते हैं। तुलसी पूजन करने से ये फायदे मिलते हैं:
- भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।
- घर में सुख-समृद्धि और शांति है।
- स्वास्थ्य लाभ।
- पाप मिटाया जाता है।
- मनोकामना पूर्ण नहीं होता।यही कारण है कि सभी को तुलसी पूजन करना चाहिए।
तुलसी की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
तुलसी पूजन दिवस पर निम्नलिखित पूजा विधि की जाती है:
- सुबह उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- तुलसी को साफ पानी से धोएं।
- तुलसी के पेड़ के सामने एक थाली या चौकी रखें।
- तुलसी के पत्ते, फूल, रोली, चावल, दीपक, धूप, इत्र आदि को एक चौकी या थाली पर रखें।
- तुलसी के पौधे को पवित्र जल या गंगाजल दें।
- तुलसी के पौधे पर रोली, चावल, फूल और अन्य सामग्री डालें।
- तुलसी के पौधे के सामने एक दीपक और धूप लगाएं।
- तुलसी के पौधे को भोजन दें।
- तुलसी के पौधे के सामने विष्णु या लक्ष्मी की पूजा करें।
तुलसी पूजन दिवस पर लोग भी नए Tulsi के पौधे लगाते हैं। नए पौधे लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
तुलसी आरती (Tulsi Pujan Arti )
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।
मैय्या जय तुलसी माता।|
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।|
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।|
मैय्या जय तुलसी माता।
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।|
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।|
मैय्या जय तुलसी माता।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।|
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।|
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।|
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।|
मैय्या जय तुलसी माता।।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।|
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
मैय्या जय तुलसी माता।।